बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र
प्रश्न- भारतीय संघ में प्रधानमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? शासन में उसका क्या महत्व है?
अथवा
भारत के प्रधानमन्त्री की शक्तियों तथा कार्य की विवेचना कीजिए।
अथवा
भारत के प्रधानमन्त्री की शक्तियों तथा पद के महत्व की विवेचना कीजिये।
अथवा
प्रधानमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? उसके अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का उल्लेख कीजिये।
अथवा
भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति, उसकी शक्तियाँ तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
प्रधानमन्त्री का महत्व
संसदीय शासन-प्रणाली के अन्तर्गत मन्त्रिपरिषद ही व्यावहारिक रूप से कार्यपालिका की प्रधान होती है। चूँकि प्रधानमन्त्री मन्त्रिपरिषद का प्रमुख होता है, अतः प्रधानमन्त्री का पद बहुत महत्वपूर्ण होता है। भारत में भी संसदीय शासन-प्रणाली है, अतः इस देश में प्रधानमन्त्री के पद का अत्यधिक महत्व है। ब्रिटिश प्रधानमन्त्री के विषय में लॉर्ड माले ने कहा था कि "प्रधानमन्त्री मन्त्रिमण्डल के वृत्त-खण्ड का मुख्य प्रस्तर है। इसी प्रकार रैम्जे म्योर - का यह कथन है कि, “प्रधानमन्त्री राज्य रूपी जहाज का चालक चक्र है। जो भारतीय प्रधानमन्त्री कि स्थिति का सही चित्रण करता है। भारत में राष्ट्रपति केवल वैधानिक प्रधान होता है।
प्रधानमन्त्री की नियुक्ति
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार, "राष्ट्रपति को उसके कार्यों के सम्पादन में सहायता एवं परामर्श देने के लिये एक मन्त्रिपरिषद होगी जिसका प्रधान प्रधानमन्त्री होगा। संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार प्रधानमन्त्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और वह प्रधानमन्त्री के परामर्श से अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करेगा। परन्तु संविधान इस सम्बन्ध में मौन है कि राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री का चयन कैसे करेगा। व्यवहार में लोकसभा में जिस दल का स्पष्ट बहुमत होगा, उसी दल के नेता को राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमन्त्री नियुक्त किया जायेगा। परन्तु जब लोकसभा में किसी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हुआ हो तब राष्ट्रपति स्व-विवेक से उसी व्यक्ति को प्रधानमन्त्री नियुक्त करेगा, जिसे लोकसभा में बहुमत का विश्वास प्राप्त हो।
प्रधानमन्त्री के कार्य और शक्तियाँ
प्रधानमन्त्री के कार्यों एवं अधिकारों के अध्ययन से इसकी वास्तविक स्थिति का आभास मिल जाता है। प्रधानमन्त्री के कार्य एवं अधिकार इस प्रकार हैं-
1. मन्त्रिपरिषद का कार्य-संचालन- प्रधानमन्त्री मन्त्रिमण्डल की बैठकों का सभापतित्व और मन्त्रिमण्डल की समस्त कार्यवाही का संचालन करता है। मन्त्रिपरिषद की बैठक में उन्हीं विषयों पर विचार किया जाता है, जिन्हें प्रधानमन्त्री 'एजेण्डा' में रखे। यद्यपि मन्त्रिपरिषद में विभिन्न बातों का निर्णय पारस्परिक सहमति के आधार पर किया जाता है लेकिन व्यवहार में सामान्यतया प्रधानमन्त्री का परामर्श ही निर्णायक होता है।
2. लोकसभा का नेता- प्रधानमन्त्री संसद का मुख्यतया लोकसभा का नेता होता है और कानून निर्माण के समस्त कार्य में प्रधानमन्त्री ही नेतृत्व प्रदान करता है। वार्षिक बजट सहित सभी सरकारी विधेयक उसके निर्देशानुसार ही तैयार किये जाते हैं। लोकसभा में व्यवस्था रखने में वह अध्यक्ष की सहायता करता है। इस सम्बन्ध में उसकी एक अन्य महत्वपूर्ण शक्ति लोकसभा को भंग करने की है।
3. राष्ट्रपति तथा मन्त्रिमण्डल के बीच सम्बन्ध स्थापित कर्त्ता- सार्वजनिक महत्व के मामलों पर राष्ट्र के प्रधान से केवल प्रधानमन्त्री के माध्यम से ही सम्पर्क स्थापित किया जा सकता है, वही राष्ट्रपति को मन्त्रिमण्डल के निश्चयों से परिचित कराता है और वही राष्ट्रपति के परामर्श को मन्त्रिमण्डल तक पहुँचाता है।
4. मन्त्रिपरिषद का निर्माण - अपना पद ग्रहण करने पर प्रधानमन्त्री का सर्वप्रथम कार्य मन्त्रिपरिषद का निर्माण करना होता है। अपने साथियों को चुनने के सम्बन्ध में प्रधानमन्त्री को पर्याप्त छूट रहती है। प्रधानमन्त्री ही निर्णय करता है कि मन्त्रिपरिषद में कितने मन्त्री हों। प्रधानमन्त्री यदि चाहे तो अपने राजनीतिक दल और संसद के बाहर के व्यक्तियों को भी मन्त्रिपरिषद में शामिल कर सकता है।
5. मन्त्रियों में विभागों का बंटवारा और परिवर्तन- मन्त्रियों में विभागों का बंटवारा करते समय भी प्रधानमन्त्री स्वविवेक के अनुसार ही कार्य करता है और प्रधानमन्त्री द्वारा किये गये अन्तिम विभाग- वितरण पर साधारणतया कोई आपत्ति नहीं की जाती है। उसका यह अधिकार और कर्त्तव्य है कि वह किसी ऐस मन्त्री से त्यागपत्र देने के लिये कह दे, जिसकी उपस्थिति से मन्त्रिमण्डल की ईमानदारी. कार्यकुशलता या शासन की नीति पर आघात पहुँचा हो। सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धान्त के पालन हेतु प्रधानमन्त्री को इस प्रकार की शक्ति प्राप्त होना नितान्त आवश्यक है।
6. अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत का प्रतिनिधित्व - अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारतीय प्रधानमन्त्री का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। चाहे विदेश विभाग प्रधानमन्त्री के हाथ में न हो, फिर भी अन्तिम रूप में विदेश नीति का निर्धारण प्रधानमन्त्री के द्वारा ही किया जाता है। वह महत्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में राष्ट्र के प्रतिनिधि के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं पर विचार-विमर्श में भाग लेता है।
7. शासन का प्रमुख प्रवक्ता- संसद, देश तथा विदेश में प्रधानमन्त्री शासन की नीति का प्रमुख . तथा अधिकृत प्रवक्ता होता है। यदि कभी संसद में किन्हीं दो मन्त्रियों के परस्पर विरोधी वक्तव्यों के कारण भ्रम और विवाद उत्पन्न हो तो प्रधानमन्त्री का वक्तव्य ही इस स्थिति को समाप्त कर सकता है।
8. उपाधियाँ प्रदान करना- भारतीय संविधान द्वारा राष्ट्रीय सेवा के उपलक्ष्य में भारत रत्न, पदम् विभूषण, पदम् भूषण और पदम् श्री आदि उपाधियाँ और सम्मान की जो व्यवस्था की गयी है. व्यवहार में वे उपाधियाँ प्रधानमन्त्री के परामर्श पर ही राष्ट्रपति द्वारा प्रदान की जाती हैं।
प्रधानमन्त्री एवं राष्ट्रपति के पारस्परिक सम्बन्ध- सैद्धान्तिक दृष्टि से राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री की नियुक्ति करता है और मन्त्रिमण्डल राष्ट्रपति को सहायता एवं परामर्श देने वाली समिति है। राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है। वह स्व-विवेकानुसार आचरण उसी समय कर सकता है, जब किसी दल का स्पष्ट बहुमत न हो। परन्तु व्यावहारिक स्थिति यह है कि राष्ट्रपति को प्रधानमन्त्री और मन्त्रिमण्डल का परामर्श मानना होता है, क्योंकि भारत में संसदात्मक शासन व्यवस्था है तथा मन्त्रिण्डल संसद (लोकसभा) के प्रति उत्तरदायी है।
जिन बातों ने प्रधानमन्त्री को मन्त्रिपरिषद में बहुत अधिक महत्वपूर्ण स्थिति तथा मन्त्रिपरिषद पर लगभग पूर्ण नियंत्रण प्रदान किया है वे इस प्रकार हैं
1. प्रधानमन्त्री मन्त्रिपरिषद का निर्माण बहुत अधिक सीमा तक स्व विवेक से ही करता है। वह ऐसे व्यक्तियों को भी मन्त्रिपरिषद में ले सकता है जिन्हें दल में कोई महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त न हो और देश में जिनका नाम बहुत थोड़े व्यक्ति जानते हों।
2. मन्त्रिपरिषद के सदस्यों में विभागों का वितरण प्रधानमन्त्री के द्वारा ही किया जाता है।
3. प्रधानमन्त्री मन्त्रियों के विभागों में परिवर्तन कर सकता है और उनसे त्यागपत्र की माँग कर सकता है। 1996 में नन्दा, 1969 में देसाई, 1980 मे कमलापति त्रिपाठी, 1986 में अरुण सिंह, 1987 में विश्वनाथ प्रताप सिंह और 1990 में देवीलाल का त्यागपत्र प्रधानमन्त्री की शक्ति का परिचय देते हैं।
4. प्रधानमन्त्री मन्त्रियों को उनके विभागीय कार्यों के सम्बन्ध में निर्देश दे सकता है और आवश्यक होने पर उनके कार्यों में हस्तक्षेप कर सकता है।
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- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के उद्भव और विकास के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में कांग्रेस के उदारवादी चरण की विचारधारा, कार्यपद्धति, माँगें, सीमाओं के आलोक में मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जन्म के संदर्भ पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- काँग्रेस में उग्रवादी विचारधारा के उद्भव के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भारत में राष्ट्रवाद के उदय के तात्कालिक कारण क्या थे?
- प्रश्न- बंगाल विभाजन के निहितार्थ स्पष्ट करते हुए स्वदेशी आन्दोलन का वर्णन कीजिए
- प्रश्न- कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उदार राष्ट्रवादियों की विचारधारा एवं कार्यपद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय उदारवादियों के योगदान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उग्रवादी राष्ट्रीय आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके विकास के समय की राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जलियाँवाला हत्याकांड की घटना तथा उसके प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खिलाफत आन्दोलन से क्या अभिप्राय है? खिलाफत आन्दोलन के उदय एवं विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन की असफलता के कारणों पर प्रकाश डालते हुए इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- असहयोग आंदोलन के सिद्धांतों एवं कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैध शासन प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इसकी असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा' का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रौलेक्ट एक्ट क्या था?
- प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' के विषय में आप क्या जानते हैं? इसे आरम्भ करने के क्या कारण थे?
- प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता क्या था?
- प्रश्न- संविधान सभा का निर्माण किस प्रकार किया गया स्पष्ट कीजिए तथा अपने कार्य निष्पादन में इसे किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
- प्रश्न- भारतीय संविधान सभा की अवधारणा का विकास किस प्रकार हुआ, वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के निर्माण की अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान सभा के प्रकृति स्वरूप की चर्चा करते हुए यह भी स्पष्ट कीजिए कि क्या इसे 'वकीलों का स्वर्ग' कहा जा सकता है?
- प्रश्न- क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि भारतीय संविधान 1935 के भारत शासन अधिनियम का वृहत् संस्करण है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिए। संविधान के मुख्य प्रकारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थी?
- प्रश्न- संविधान सभा द्वारा संविधान के लिए उद्देश्य प्रस्ताव क्या था? संविधान निर्माताओं के सामने संविधान निर्माण में क्या-क्या समस्याएँ थीं?
- प्रश्न- लिखित व निर्मित संविधान से अभिप्राय बताइए।
- प्रश्न- संविधान सभा को कार्य निष्पादन में किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
- प्रश्न- संविधान सभा के कार्यकरण की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट (1928) की प्रमुख सिफारिशें क्या थीं?
- प्रश्न- पं. नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (1946) के महत्वपूर्ण प्रस्ताव क्या थे?
- प्रश्न- भारतीय संविधान की मौलिकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम 1935 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रारूप समिति' पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट- 1928 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना की भूमिका से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना उद्देश्य तथा महत्व बताइये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना के स्वरूप की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
- प्रश्न- 73 वें संविधान संशोधन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान की प्रकृति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान की विशालता के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान में केन्द्र को शक्तिशाली क्यों बनाया गया?
- प्रश्न- भारतीय संविधान में संशोधन प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान की प्रस्तावना का क्या महत्व है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की मूल प्रस्तावना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संवैधानिक उपचारों का अधिकार पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- बयालिसवें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान की मूल प्रस्तावना में किये गये सुधारों को बताइये।
- प्रश्न- एकल नागरिकता क्या है?
- प्रश्न- 'लोक कल्याणकारी राज्य' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के नागरिकता सम्बन्धी प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में किसी भी व्यक्ति की नागरिकता किन आधारों पर समाप्त हो सकती है?
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
- प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं मानव अधिकारों में अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों से आप क्या समझते हैं? संविधान में इनके उद्देश्य एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान में वर्णित नीति निर्देशक सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक तत्वों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों तथा नीति निर्देशक सिद्धान्तों में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों के क्रियान्वयन की आलोचनात्मक व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त के स्वरूप और क्षेत्र का वर्णन कीजिये। भारतीयराजनीतिक व्यवस्था में सुधार के लिए यह किस प्रकार उपयोगी है?
- प्रश्न- नीति-निदेशक तत्वों का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- हमारे देश में नीति निर्देशक तत्वों का कार्यान्वयन कहाँ तक हुआ है, स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के उन नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख कीजिये जिन्हें गांधीवाद कहा जाता है।
- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों की प्रकृति अथवा स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निर्देशक सिद्धान्तों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में संविधान संशोधन (Constitutional Amendment) की क्या प्रक्रिया अपनाई गई है? विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- भारतीय संसद की संविधान संशोधन की शक्ति के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अनुच्छेद 356 चौवालीसवें संविधान संशोधन विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी करें।
- प्रश्न- राष्ट्रपति पद की योग्यतायें एवं कार्यकाल बताते हुए इस पद की संवैधानिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया को समझाइये, उसे अपने पद से कैसे हटाया जा सकता है तथा राष्ट्रपति के पद रिक्तता की स्थिति में उसके कार्यों को कैसे सम्पादित किया जाता है?
- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की स्थिति के सम्बन्ध में संवैधानिक प्रधान की धारणा का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानमन्त्री की स्थिति उसका महत्व तथा उसकी भूमिका की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संघ में प्रधानमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? शासन में उसका क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारत में मंत्रिपरिषद के गठन, कार्य व शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में मंत्रिमंडलीय प्रणाली की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- उपराष्ट्रपति पद की योग्यतायें, कार्यकाल तथा निर्वाचन पद्धति बताइये।
- प्रश्न- उपराष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या भारतीय राष्ट्रपति 'रबर स्टैम्प' है? पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्ति (Veto Power) का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुच्छेद 352 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अनुच्छेद 356 पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री की विशिष्ट स्थिति पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के सम्बन्धों पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रधानमन्त्री के प्रभुत्व से वृद्धि के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालक के रूप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमन्त्री और संसद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमन्त्री की स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संसद की संरचना का संक्षेप में वर्णन कीजिए। संसद के कार्य एवं शक्तियाँ बताइये।
- प्रश्न- राज्य सभा की संरचना, कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा की संरचना एवं लोकसभा का कार्यकाल बताते हुए इसके कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा की शक्तियों एवं स्थिति का विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति, शक्तियों तथा कार्यों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- संसद में कानून निर्माण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा अध्यक्ष के कार्य एवं अधिकार संक्षेप में बतायें।
- प्रश्न- राज्य सभा के पदाधिकारियों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में लोकसभा के क्या विशेषाधिकार हैं?
- प्रश्न- धन विधेयक एवं वित्त विधेयक के मध्य भेद स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संसदीय व्यवस्था की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय संसद में विपक्ष की भूमिका टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की नियुक्ति एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकीय कार्यों एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की भूमिका अथवा स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? उसकी राज्य के शासन में क्या भूमिका और स्थिति है?
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति, उसके अधिकार एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए एवं मन्त्रिपरिषद एवं विधानसभा के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल, मंत्रिपरिषद तथा मुख्यमंत्री के आपसी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकी शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'केन्द्रीय अभिकर्ता' के रूप में राज्यपाल की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- राज्यपाल का निर्वाचन क्यों नहीं होता? संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान के अनुच्छेद 356 के संदर्भ में राज्य के राज्यपाल की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री / मन्त्री पद की पात्रता सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय के 10 सितम्बर, 2000 के निर्णय की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मुख्यमंत्री चयन की राजनीति टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- विधानसभा की रचना तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विधान परिषद की रचना किस प्रकार होती है? उसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना और गठन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक समीक्षा के अधिकार का वर्णन कीजिए तथा इसका महत्व समझाइये।
- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सर्वोच्च न्यायालय के संगठन, शक्तियों और कार्यों की विवेचना कीजिए। इसे भारतीय संविधान का संरक्षक क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- उच्च न्यायालय के गठन एवं न्यायाधीशों की नियुक्ति, कार्यकाल,शपथ एवं स्थानान्तरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार या शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'सामाजिक न्याय' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- न्याय पुनः निरीक्षण की शक्ति तथा उच्च न्यायालयों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र तथा राज्यों के बीच सम्बन्धों के सुधार के लिए आप किन उपायों को आवश्यक समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्य स्वायत्तता (Autonomy) से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- 'सहकारी संघवाद' (Co-operative Federalism) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के गठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय विकास परिषद के गठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संविधान की 5वीं एवं 6ठी अनुसूची किन क्षेत्रों को विशेष दर्जा प्रदान करती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संविधान की छठी अनुसूची किन क्षेत्रों से सम्बन्धित विशेष प्रावधान करती है?
- प्रश्न- संविधान में आदिवासी क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधान क्यों रखे गये? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत और उत्तर-पूर्व के राज्यों को लागू इनर-लाइन परमिट क्या है?
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन आयोग के संगठन एवं कार्यों अथवा शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्वाचन विषयक आधारभूत सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मुख्य निर्वाचन आयुक्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।